अक्सर देखा गया है कि कोई भी व्यवस्था जो ज्यादा दिन तक अपना मकसद हल नहीं कर पाती वो ज्यादा दिन नहीं रह पाती. ऐसे ही कुछ संकेत हमारे पड़ोसी मुल्क नेपाल में देखने को मिल रहे हैं. नेपाल एक बार फिर एक ऐसे दो राहे पर आकर खड़ा हो गया है, जहां राजशाही समर्थकों की आवाजें तेज हो रही हैं. 28 मार्च को हुए राजशाही समर्थक प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया. पुलिस ने 58 राउंड गोलियां और 746 राउंड आंसू गैस के गोले चलाए, जिसमें कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग जख्मी भी हो गए.
2008 में खत्म हुई नेपाल की राजशाही
प्रदर्शनकारियों की दो मुख्य मांगें हैं. पहली यह कि राजशाही की वापसी और नेपाल को फिर से हिन्दू राष्ट्र ऐलान करना. 2008 में नेपाल ने राजशाही को खत्म कर लोकतांत्रिक गणराज्य का रास्ता अपनाया था. 2006 में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद राजा ज्ञानेन्द्र शाह को गद्दी छोड़नी पड़ी और इसके साथ ही नेपाल ने धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की ओर कदम बढ़ाया.
क्यों उठ रही हैं आवाजें?
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि नेपाल के सियासी पार्टियां पूरी तरह से करप्ट हो चुकी हैं और वे देश के अंदर अन्य धर्मों को तेजी के साथ बढ़ावा दे रहे हैं. जिसकी वजह से नेपाल की खुद की अपनी पहचान खत्म होने की कगार पर है. उनका मानना है कि सिर्फ शाही परिवार ही देश की हालत को सुधार सकती है. उन्हें यकीन है कि शाही परिवार की वापसी के बाद उनकी समस्याएं कुछ कमी जरूरत आएगी.
किन समस्याओं से परेशान हैं लोग
दलीलें हैं कि नेपाल के अंदर बेरोजगारी, महंगाई जैसी समस्याएं भी तेजी से अपने पैर पसार रही हैं. नौजवानों को रोजगार के लिए देश छोड़कर बाहर जाना पड़ता है. इसके अलावा देश की आर्थिक हालत में मुश्किल दौर से गुजर रही है. इतना ही नहीं लोग देश की विदेश नीति को लेकर भी सरकार से नाराज हैं.
2001 के बाद बदले हालात
बता दें कि नेपाल के आखिरी राजा ज्ञानेंद्र थे. उन्हें अपदस्थ करने के बाद देश को ‘लोकतांत्रिक’ घोषित कर दिया गया था. राजशाही परिवार के पतन की बात करें तो 2001 की घटना इसमें मील का पत्थर साबित हुई. 2001 में शाही परिवार के एक सदस्य ने अपने ही परिवार के 9 लोगों का कत्ल कर दिया था. इस घटना के बाद नेपाल में माओवादी ताकतें सिर उठाने लगीं और राजशाही के खिलाफ आंदोलन कर धीरे-धीरे खुद को मजबूत भी कर लिया.
नेपाल के आखिरी राजा की संपत्ति
2008 से पहले तक नेपाल की सत्ता संभालने वाले राजा ज्ञानेंद्र के पास संपत्ति की भरमार है. ना सिर्फ अपने देश बल्कि उन्होंने अन्य देशों में निवेश किया है. उनके पास नेपाल में कई आलीशान घर, हजारों एकड़ में फैला नागार्जुन जंगल भी है. साथ ही अफ्रीकी देशों में भी उन्होंने निवेश किया है. नेपाल और अन्य देशों की कुल संपत्ति को 200 मिलियन डॉलर (17 अरब रुपये से ज्यादा) आंका गया है. उनको लेकर कहा जाता है कि वो फिलहाल सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. हाल ही में उन्होंने कुछ जगहों को दौरा किया था.
Source : Zee News